Sunday, November 28, 2021

ON Sir, Chhotu Ram 's 140th Birth Anniversary

Sir,Chhotu Ram 's 140th Birth Anniversary falling on24th Nov,2021 The Bhartiya Dalit Sahitya Akademy incl. J&K Branch remembers with gratitude Jat Leader Sir Chhotu Ram (24 November 1881 – 9 January 1945) on his 140th Birth Anniversary falling to day the 24th Nov,2021. Sir,Chhotu Ram was a prominent politician in British India an ideologue of the pre-Independent India and championed the interest of oppressed communities of the Indian subcontinent. He was intelligent and always stood first in class incl. Law degree. On the political front, he was a co-founder of the National Unionist Party which ruled the United Punjab Province in pre-independent India. He was the President of Rohtak Congress Party 2016 but resigned in Calcutta party conference 1920 as he opposed Congress on Non Cooperative Movement. He founded Unionist Party,( Zamindara League) in 1923 with Sir Fazl-i-Hussain ,prominent Muslim leader., which was a cross-communal alliance of Hindu, Sikh, and Muslim agriculturists. Both leaders kept at bay the Congress and Muslim League policies of religion divide of masses. The Unionist Party won elections in 1935 to form the provincial government in the capital at Lahore. As revenue minister, he brought in changes in the law to stop the practice of usury (charging interest on interest say SOOD Dar SOOD). If a person had repaid double of more amount of the sum he borrowed, his debit will get automatically waved off, a great relief to poor peasantry. The money lenders, distraints, were debarred to get land transferred, auction standing crops, trees, farm implements, oxen in lieu of money due from a debtor. He championed the struggle for common man including farmers and so law was framed for restoration of mortgaged lands in1938. He mooted the proposal of Bhakhra Dam. Sir Chhotu Ram was a great champion of Muslim-Hindu, Dalit Unity and opposer of partition of India on religious lines. Both Baba Haheb Dr.B.R.Ambedkar and Choudhary Chhotu Ram opposed Congress leaders slogging “Simon Go Back” as Simon was to study the condition of Indian masses, religious domination and to suggest the remedial measures. Gandhi and Hindu leaders were opposed to British know inter religions difference of Indians, who were Slaves to British Slaves. The present Kissan agitation has roots in thoughts of Ch. Chhotu Ram. May his soul rest in peace. Er.H. R. Phonsa hrphonsa@gmail.com,9419134060 All India Spokesman the Bhartiya Dalit Sahitya Akademy हिंदी अनुवाद भारतीय दलित साहित्य अकांगी समिति जम्मू-कश्मीर शाखा ने आभार जताते हुए जाट नेता सर छोटूराम (24 नवंबर 1881-9 जनवरी 1945) की 140 वीं जयंती पर 24 नवंबर, 2021 को याद किया। वह ब्रिटिश भारत में एक प्रमुख राजनेता थे जो स्वतंत्र भारत के एक विचारक थे और उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के दबे-कुचले समुदायों के हित को चैंपियन किया । वह रोहतक कांग्रेस पार्टी २०१६ के अध्यक्ष थे, लेकिन कलकत्ता पार्टी सम्मेलन १९२० में इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्होंने गैर सहकारी आंदोलन पर कांग्रेस का विरोध किया था । उन्होंने 1923 में सर फजल हुसैन (प्रमुख मुस्लिम नेता) के साथ यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदारा लीग) की स्थापना की, जो हिंदू, सिख और मुस्लिम कृषकों का एक क्रॉस-सांप्रदायिक गठबंधन था । दोनों नेताओं ने जनता के धर्म विभाजन की कांग्रेस और मुस्लिम लीग की नीतियों को खाड़ी में रखा । यूनियनिस्ट पार्टी ने लाहौर में राजधानी में प्रांतीय सरकार बनाने के लिए १९३५ में चुनाव जीता था । राजस्व मंत्री के तौर पर सूद दार सूद कहते हैं कि सूद की प्रथा (ब्याज पर ब्याज वसूलने) को रोकने के लिए वह कानून में बदलाव लाते थे। यदि किसी व्यक्ति ने उधार ली गई राशि की दोगुनी राशि चुकाई थी, तो उसका डेबिट स्वचालित रूप से भुगतान के अंत रूप में लिया जाएगा ,जो गरीब किसानों के लिए एक बड़ी राहत है । साहूकारों, असंतुष्टों को एक देनदार से देय धन के बदले भूमि हस्तांतरित करने, खड़ी फसलों, पेड़ों, कृषि उपकरणों, बैलों को प्राप्त करने के लिए वर्जित किया गया था । उन्होंने किसानों सहित आम आदमी के लिए संघर्ष को चैंपियन बनाया और इसलिए 1938 में गिरवी रखी गई जमीनों की बहाली के लिए कानून बनाया गया। उन्होंने भाखड़ा बांध का प्रस्ताव रखा ।सर छोटूराम धार्मिक आधार पर मुस्लिम-हिंदू, दलित एकता सहायक था और भारत विभाजन के विरोधी ।महान हिमायती थे। बाबा साहिब डॉ. बी आर. अंबेडकर और चौधरी छोटूराम दोनों ने कांग्रेस नेताओं का विरोध करते हुए कहा कि साइमन को भारतीय जनता की स्थिति, धार्मिक वर्चस्व का अध्ययन करना और उपचारात्मक उपायों का सुझाव देना था । गांधी और कांग्रेस के नेता कभी नहीं चाहते थे कि अंग्रेजों को धार्मिक अल्पसंख्यकों के हिदु जाति गत वर्चस्व की जानकारी हो। इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया । वर्तमान किस्सान आंदोलन की जड़ें चौधरी छोटूराम के विचारों में हैं। उसकी आत्मा शांति में आराम करे । हिंदी अनुवाद में कुछ गलतियां हो सकती हैं जैसा कि कंप्यूटर अनुवाद का कार्य है Er.H. R. Phonsa hrphonsa@gmail.com,9419134060 All India Spokesman the Bhartiya Dalit Sahitya Akademy

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